पति पक्ष के लिए 498a मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनहरा जजमेंट
1983 की अमेंडमेंट के बाद आईपीसी में 498a को लाकर महिलाओं के ऊपर होने वाले उत्पीड़न को कम करने का प्रयास किया गया था लेकिन आज के समय में इसी धारा का दुरुपयोग कर महिलाएं और उनके रिश्तेदार पति और उनके रिश्तेदारों के ऊपर झूठे आरोप लगाकर उन्हें फंसा रहे हैं और इसका बहुत ही ज्यादा दुरूपयोग किया जा रहा है तो दोस्तों इसी बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2017 के एक जजमेंट में महिलाओं के द्वारा पतियों के ऊपर लगाए जाने वाले मुकदमों से बचाने के लिए पति के पक्ष में कुछ गाइडलाइन जारी किए गए थे यह गाइडलाइन निचली अदालत और पुलिस मशीनरी इन सभी के लिए थी तो दोस्तों सुप्रीम कोर्ट ने राजेश शर्मा वर्सिज स्टेट ऑफ़ यूपी इस केस में पुलिस मशीनरी सभी निचली अदालतों को बहुत सारे गाइडलाइन जारी किए थे तो दोस्तों सुप्रीम कोर्ट ने सबसे पहले डायरेक्शन डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी को दी थी कि उनको हर जिले में एक वेलफेयर कमेटी बनानी है और उसे कमेटी में दो ऐसे मेंबर होंगे जो समाज में वेलफेयर के काम करते होंगे उसके बाद जब कभी भी मजिस्ट्रेट के पास या कोर्ट पुलिस स्टेशन में 498a मैटर दर्ज होता है तो उनको वो मैटर वेलफेयर कमेटी के सामने भेजना करना है उसके बाद वेलफेयर कमेटी की है ड्यूटी है कि वह 1 महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पुलिस के पास अथवा मजिस्ट्रेट के सामने पेश करें और दोस्तों इस 1 महीने के दरमियान पुलिस भी पति को अरेस्ट नहीं कर सकती और मजिस्ट्रेट भी रिपोर्ट आने तक आगे प्रोसीड नहीं करेंगे और साथ में यह गाइडलाइन भी थी कि इस वेलफेयर कमेटी को साल में एक बार चेयरपर्सन के द्वारा रिव्यू किया जाएगा जो कि उसे जिले के सेशन जज होंगे उसके बाद इस केस में अगली डायरेक्शन यह दी गई थी की जो कोई इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर इस तरह के मैटर को डील करता है उनको 4 महीने के लिए ट्रेनिंग के लिए भेजा जाए उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में बेल से रिलेटेड डायरेक्शन दी थी
कि जब कभी भी पति या उसके रिश्तेदारों के द्वारा बेल एप्लीकेशन फाइल होती है और उसके बाद सरकारी वकील और कंप्लेंट का जवाब फाइल किया जाता है तो उस पर उसी दिन सुनवाई की जानी चाहिए उसके बाद अगली डायरेक्शन में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को डायरेक्शन देते हुए यह कहा कि जो कोई भी पति के रिश्तेदार है जो भी सिटी से बाहर रहते हैं उन्हें न्यायालय में हर तारीख पर आने से शूट दी जा सकती है या तो फिर उनकी हियरिंग वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा भी ली जा सकती है। तो इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने ये डायरेक्शंस देकर पति और उनके रिश्तेदारों को राहत प्रदान की थी।