कोर्ट में चेक बाउंस केस किस प्रकार चलता है / cheque bounce case full procedure in hindi
आज के इस लेख में मैं आपको बताऊंगा कि चेक बाउंस केस कोर्ट में किस प्रकार चलता है नोटिस भेजने से लेकर जजमेंट तक का पूरा सफर तो दोस्तो आर्टिकल को पूरा पड़े तो दोस्तो चेक बाउंस केस की शुरुवात होती है जब किसी व्यक्ति का दिया हुआ चेक बैंक में डालने के बाद बाउंस हो जाता है तो सामने वाले व्यक्ति से अपने पैसे निकालने के लिए उसको कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है तो वो नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के अनुसार कोर्ट में केस फाइल करता है लेकिन इसके लिए भी प्रोसीजर है ऐसा नहीं की चेक बाउंस हुआ और कोर्ट में केस डालने चले गए उसके लिए सबसे पहले सामने वाले को चेक बाउंस होने के बाद एक महीने के अंदर एक डिमांड नोटिस भेजनी पड़ती है उसमे चेक अमाउंट की डिमांड के साथ उसको पैसे देने के लिए 15 दिन का समय दिया जाता है उस 15 दिन तक अगर वो पैसे नहीं देता तो उसके 15 दिन समाप्त होने के बाद से एक महीने के अंदर कोर्ट में केस फाइल करना पड़ता है
varification
अब केस फाइल करने के बाद पहली डेट पर कोर्ट के सामने फ्रियादी का वेरिफिकेशन लिया जाता है और अगर कोर्ट को लगता है की आरोपी के विरुद्ध लगाए गए आरोपों में उसके ऊपर केस बनता है तो कोर्ट आरोपी को सम्मन इश्यू कर देती है
appearance
अब अगली स्टेज आती है अपीयरेंस की तो दोस्तो आरोपी को सम्मन मिलने के बाद आरोपी कोर्ट में हाजिर होता है और कोर्ट में बेल लेता है
particular
अब अगली स्टेज में आरोपी का कोर्ट के द्वारा पार्टिकुलर लिया जाता है याने की उसका चार्ज किया जाता है जिसमे कोर्ट के द्वारा उसको यह पूछा जाता है तुम्हारे ऊपर इस धारा के अंदर मुकदमा चलेगा क्या तुम्हे गुनाह कबूल है और उसके द्वारा सेटलमेंट न करने पर या गुनाह न कबूल करने पर केस आगे चलता है
evidence
अब अगली स्टेज आती है एविडेंस की तो इस स्टेज में फ्रियादि का वकील सबसे पहले फिर्यादी की चीफ एग्जामिनेशन लेता है और उसके बाद आरोपी के वकील के द्वारा उसकी क्रॉस एग्जामिनेशन ली जाती है यही प्रक्रिया बाकी के विटनेसेज के साथ होती है
313 statement
इस स्टेज में आरोपी के एजेंट्स में आए हुए सारे एविडेंस के क्वेश्चन तैयार करके कोर्ट के द्वारा आरोपी को पूछा जाता है की आपके खिलाफ इतना मैटेरियल आया है आपको इसके ऊपर क्या कहना है उसके बाद आपको अपने बचाव में कुछ कहना है क्या अगर वो अपने बचाव में किसी विटनेस को एग्जामिन करना चाहे तो केस अगली स्टेज की ओर बढ़ता है
defence witnesses
अब इस स्टेज पर आरोपी अपने बचाव में अपना या फिर किसी और विटनेस की गवाही कोर्ट में दर्ज करा सकता है
Final argument
इस स्टेज में पहले फ्रियादी के वकील के द्वारा कोर्ट में argument की पहल की जाती है और बाद में आरोपी के वकील के द्वारा दोनो पक्षों का सुनने के बाद केस फाइनल स्टेज पर आ जाता है
judgement
अब इस स्टेज में कोर्ट दोनो पक्षों की दलीलें और पेश किए गए दस्तावेजों और गवाहों को सुनने के बाद अपना फैसला सुना देती है ।